Shiv Khera ke Success PRINCIPLES (Hindi Edition)
Abhishek Kumarआज लोगों के पास ज्ञान तो है, पर संस्कार नहीं हैं। ज्ञान मिल रहा है, संस्कार नहीं मिल रहे। हम लोग अपने परिवारों में, घरों में गलत उसूल सिखाते हैं। हमारे दफ्तर में कोई फोन आता है, हमने किसी का चेक नहीं दिया। जो भी कारण हो, गलती हो, हमारा स्टाफ झूठ नहीं बोलेगा। झूठ मत बोलिए। मैं अगर अपने दफ्तर में अपने स्टाफ को अपने लिए झूठ बोलना सिखाऊँगा तो एक दिन ऐसा आएगा, मेरा स्टाफ मुझसे ही झूठ बोलेगा और जितनी बार मैं उनसे झूठ बुलवाता हूँ और जब वे झूठ बोलते हैं और अपनी नजर में थोड़ा सा गिर जाते हैं।
जो लोग जिंदगी में असफल होते हैं, वे जिम्मेदारी नहीं उठाते। वे दुनिया को ब्लेम करते हैं। अपने माता-पिता को, शिक्षक को, नक्षत्रों को, हमेशा किसी और को करेंगे, खुद अपने आपको कभी स्वीकार नहीं करते।
अंधविश्वास ने हम लोगों को कमजोर बना दिया है। जिंदगी में जब भी कुछ गलत होता है, उससे सीख लेने की बजाय हम लोग सितारों को दोष देने लगते हैं। कुछ नहीं सीखते। वही गलती दोबारा से दोहराते चले जाते हैं, अगेन एंड अगेन एंड अगेन।
गुब्बारा अपने रंग की वजह से नहीं, बल्कि अपने अंदर भरी चीज की वजह से उड़ता है। हमारी जिंदगी में भी यही सिद्धांत लागू होता है। महत्त्वपूर्ण चीज हमारी अंदरूनी शख्सियत है। हमारी अंदरूनी शख्सियत की वजह से हमारा जो नजरिया बनता है, वही हमें ऊपर उठाता है।
जिंदगी में अगर सफल होना है तो हमको प्राथमिकता ठीक से चुननी होगा। आज जितने समय सेविंग डिवाइस हैं दुनिया में, इतने कभी नहीं हुए; लेकिन आज किसी चीज की कमी है तो वो समय की। क्यों, क्योंकि हम लोगों ने अपनी प्राथमिकताएँ मैसप कर दी हैं। जब आदमी अपनी प्राथमिकता भूल जाता है, वह फर्क बताना भूल जाता है—कौन सी अर्जेंट चीज है और कौन सी इंपोर्टेंट चीज है। अर्जेंट जरूरी नहीं कि इंपोर्टेंट भी हो और इंपोर्टेंट जरूरी नहीं कि अर्जेंट हो; लेकिन जब भी हम इंपोर्टेंट चीज को इग्नोर करते हैं, वह हमेशा अर्जेंट बन जाती है।